उज्जैन में 25 साल की MBA युवती बनी साध्वी, सुख-सुविधा छोड़ अपनाया वैराग्य
उज्जैन। उज्जैन की MBA पास युवती साध्वी बन गई हैं। यहां प्रतिष्ठित परिवार से ताल्लुक रखने वाली 25 साल की युवती ने सुख-सुविधा और परिवार त्याग कर संयम की राह चुन ली। इसके लिए पांच दिवसीय उत्सव आयोजित किया गया। बुधवार को उसने दीक्षा ग्रहण की। सलोनी जैन की इस युवती का नाम बदलकर साध्वी श्री मल्लि दर्शना श्रीजी मसा रखा गया।
उज्जैन के ज्वेलर विमल भंडारी और पूजा भंडारी की 25 साल की बेटी सलोनी ने जैन साध्वी दीक्षा ली है। अरविंद नगर स्थित मनोरमा-महाकाल परिसर में विरती मंडप सजाया गया। इसमें पांच दिन धार्मिक आयोजन किए गए। मंगलवार सुबह 8:30 बजे खाराकुआ स्थित श्री हीर विजय सूरी बड़ा उपाश्रय मंदिर से वर्षी दान वरघोड़ा निकला। इसमें सलोनी ने हाथी पर बैठकर सांसारिक वस्तुओं के त्याग स्वरूप सामग्री लुटाई।
वधावणा कार्यक्रम भी किया गया
सोमवार सुबह वस्त्र रंगोत्सव विधि हुई तो दोपहर महिला सांझी कार्यक्रम के दौरान विभिन्न महिला मंडलों ने धार्मिक सांस्कृतिक प्रस्तुतियां दीं। शाम को सलोनी की शीर्षक के साथ वधावणा कार्यक्रम हुआ। महोत्सव समिति के संजय भंडारी और डॉ. राहुल कटारिया के अनुसार आचार्य मतिचंद्र सागर सुरीश्वर जी मसा, अध्यात्म योगी गणिवर्य आदर्श रत्न सागर जी मसा, युवा मुनि अक्षत रत्न सागर जी मसा व साध्वी मुक्ति दर्शना श्रीजी मसा की निश्रा में वस्त्र रंगों से कार्यक्रम हुआ। मंगलवार सुबह विराजित सभी साधु साध्वी की निश्रा में भव्य वर्षीदान वरघोड़ा नगर के प्रमुख मार्गों से होकर अरविंद नगर विरती मंडप पहुंचा था।
बुधवार को सलोनी की मुख्य दीक्षा
मुमुक्षु सलोनी दीक्षा लेने उपरांत सभी सांसारिक रीति-रिवाज से दूर हो गईं। संगीत प्रस्तुति के साथ उनका विदाई कार्यक्रम होगा। बुधवार सुबह 8.30 बजे से मुख्य दीक्षा विधि शुरू हुई। हजारों समाजजनों के साक्षी में सलोनी ने सोलह श्रृंगार व वैभव त्याग कर साध्वी दीक्षा ग्रहण की।
MBA के बाद नौकरी और पिता का बिजनेस भी संभाला
सलोनी ने उज्जैन एमआईटी कॉलेज से MBA की है। सलोनी पढ़ाई में शुरू से अच्छी थी। MBA के बाद करीब डेढ़ साल इंदौर में नौकरी की। फिर पिता की पटनी बाजार स्थित भंडारी ट्रेडर्स की ज्वेलरी के कारोबार में हाथ बंटाने लगी।
अब न माता-पिता ना कोई रिश्ता, आजीवन पैदल विहार
सलोनी ने कठिन माने जाने वाले मुनि दीक्षा ली, जो कठिन निर्णय होता है। क्योंकि संयम जीवन में ना वाहन, ना इलेक्ट्रॉनिक उपकरण ना कोई विलासिता। आजीवन पैदल विहार मंदिर उपाश्रय में ही प्रवास। माता-पिता भाई-बहन समेत सांसारिक रिश्तों का त्याग और केवल धर्म के उद्देश्य के लिए सादा जीवन जीना होता है। सोशल मीडिया पर एक्टिव रहने वाली मोह माया त्याग कर जीवन बिताएगी। सलोनी एफबी और इंस्टाग्राम पर एक्टिव थीं, लेकिन अब वो गुरु दीक्षा के बाद बिना पंखे, कूलर, एसी और गाड़ी के जीवन व्यापन करेगी।